राजुरकर राज
मूल नाम ः साहेबराव राजुरकर
जन्म ः तारीख ठीक-ठीक पता नहीं, लेकिन औपचारिक
शिक्षा के लिए दर्ज तिथि के अनुसार
1961 के सितम्बर माह की 27 तारीख.
मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के गोधनी गाँव में.
शिक्षा ः हिन्दी स्नातकोत्तर
दुष्यन्त कुमार के काव्यनाटक ‘एक कंठ विषपायी’ पर लघु शोध प्रबन्ध.
प्रयास ः ससन् 1983 से अनियतकालीन साहित्य पत्रिका ‘पड़ाव’ का सम्पादन.
स1983 से 1984 तक सीधी में ‘बघेली लोक कला परिषद’ के सचिव का दायित्व.
सम. प्र. भारत स्काउट्स-गाइड्स की पत्रिका का तीन वर्षो तक सम्पादन.
स1993 से समीक्षा पत्रिका ‘आकलन’ का निरन्तर सम्पादन/प्रकाशन.
समई 1999 से साहित्यकारों की लोकप्रिय सम्वाद पत्रिका ‘शब्दशिल्पियों के आसपास’ का निरन्तर सम्पादन/प्रकाशन. यह पत्रिका साहित्य-सर्जकों की खबरों पर आधारित देश की एकमात्र पत्रिका है.
ससाहित्य की त्रैमासिक पत्रिका ‘अक्षर शिल्पी’ का 2002 से 2005 तक सम्पादन.
ससाहित्य और कला पर केन्द्रित शोध पत्रिका ‘शोध सन्दर्भ’ का अक्टूबर 2003 से प्रकाशन/सम्पादन आरम्भ.
स1985 से साहित्य प्रकाशन परिषद ‘पड़ाव’ की शुरुआत. अब तक अनेक महत्वपूर्ण रचनाकारों की तीन दर्जन से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन. (अनेक कृतियाँ पुरस्कृत). कुछ पुस्तिकाओं का सम्पादन.
स‘शब्दशिल्पी राजधानी के’ भोपाल के साहित्यकारों की डायरेक्ट्री के चार संस्करणों का प्रकाशन. मध्यप्रदेश के रचनाकारों की डायरेक्ट्री ‘हस्ताक्षर’ का सम्पादन/ प्रकाशन. बाद में साहित्यसाधकों के परिचय ग्रन्थ ‘सृजनधर्मी’ का सम्पादन-प्रकाशन.
सभारतीय भाषाओं के रचनाकारों की डायरेक्ट्री ‘शब्दसाधक’ का सम्पादन और प्रकाशन कर अपने ढंग का महत्वपूर्ण काम किया, जिसमें भारत की सभी भाषाओं के पन्द्रह हजार से अधिक साहित्य साधकों के नाम और पते शामिल हैं.
सनेशनल बुक ट्रस्ट (दिल्ली) से नवसाक्षर पुस्तकमाला के अन्तर्गत पुस्तक ‘डण्डे का डर’ 2006 में प्रकाशित. 2008 में इसका दूसरा संस्करण ट्रस्ट द्वारा ही प्रकाशित. गुजराती भाषा में अनुवाद.
नेशनल बुक ट्रस्ट (दिल्ली) से दूसरी पुस्तक ‘सुमन की जीत’ 2013 में प्रकाशित.
ससाहित्यकारों की धरोहर को सहेजने के विचार पर अपने निवास के एक कमरे से ‘दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय’ की 1997 में स्थापना और निदेशक के रूप में कुशल संचालन. इस संग्रहालय में वरिष्ठ और कालजयी साहित्यसाधकों की शताधिक पाण्डुलिपियाँ और साहित्यसाधकों के जीवन की अनमोल सामग्री भी सुरक्षित है. इसके अलावा आठ हजार से अधिक छायाचित्रों का संग्रह. अनमोल ऑडियो रिकॉर्डिंग भी सुरक्षित.
सरेडियो के लिए :
तकुछ चर्चित कार्यक्रमों के लोकप्रिय उद्घोषक और प्रस्तुतकर्ता.
तकई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों और समारोहों का आँखों देखा हाल के सीधे (तत्काल) प्रसारण का व्यापक अनुभव.
तविशिष्ट साहित्यिक अवदान के लिए आकाशवाणी भोपाल से ‘हिन्दी साधना सम्मान’ प्राप्त.
तराष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की भोपाल यात्रा पर राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी से लगातार दो घण्टों तक आँखों देखा विवरण दिया.
त15 अगस्त 1997 की मध्यरात्रि में आज़ादी की स्वर्णजयन्ती पर मध्यप्रदेश विधानसभा में आयोजित विशेष समारोह का आँखों देखा हाल सुनाया.
तलोकसभा एवं विधानसभा चुनावों के विशेष प्रसारण तथा ‘मतदान मध्यप्रदेश’ एवं ‘मतगणना मध्यप्रदेश’ में विशेष भूमिका.
तलोकप्रिय कार्यक्रम ‘फोन करें गीत सुनें’ की सजीव प्रस्तुति के पहले उद्घोषक.
तलगातार तेरह वर्षों तक मध्यप्रदेश विधानसभा से बजट-भाषण का आँखों देखा हाल एवं सदन से तत्काल प्रतिक्रियाएँ.
तविशिष्ट साहित्यिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति. ‘प्रश्न दर्पण’, सार्थक सम्वाद’, ‘यादों का सफर’, ‘पर्यावरण कॉलिंग’, ‘अन्वय’ आदि महत्वपूर्ण कार्यक्रमों की परिकल्पना, नियोजन एवं प्रस्तुति. विविध भारती के चर्चित कार्यक्रम ‘मैटिनी शो’ में शोध और परामर्श.
तअनेक महत्वपूर्ण व्यक्तियों से रेडियो के लिए साक्षात्कार, जिनमें प्रख्यात फिल्मकार गुलजार, संगीतकार रवीन्द्र जैन, आदेश श्रीवास्तव, विशाल भारद्वाज, साहित्यकार कमलेश्वर, विष्णु प्रभाकर, शहरयार, राजेन्द्र यादव, मालती जोशी, मेहरुन्निसा परवेज़, रमेशचन्द्र शाह, हबीब तनवीर, डॉ. प्रभाकर श्रोत्रीय, तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, बाबूलाल गौर, तत्कालीन राज्यपाल डॉ. भाई महावीर, श्री जसदेव सिंह, बालकवि बैरागी आदि प्रमुख हैं.
सआजीविका के सिलसिले में चार माह शासकीय शिक्षक के अनुभव के बाद दैनिक विन्ध्यवाणी (सीधी) और भोपाल में दैनिक जागरण, नवभारत और मध्यप्रदेश भारत स्काउट्स-गाइड्स में महत्वपूर्ण पदों पर नौकरी के बाद 1990 से आकाशवाणी में नियमित उद्घोषक. (1990 से आकाशवाणी जगदलपुर (अब छत्तीसगढ़ में), 1991 से आकाशवाणी भोपाल.
मई 2008 से विविध भारती भोपाल में वरिष्ठ उद्घोषक)
सविदेश प्रवास
अक्टूबर 2002 में पहली बार मॉरीशस की साहित्य-यात्रा.
सितम्बर 2003 में दूसरी बार मॉरीशस में आयोजित साहित्य अधिवेशन में भागीदारी.
29 जुलाई से 4 अगस्त 2008 मे दुबई में आयोजित साहित्य समेलन में भागीदारी.
सदो-तीन आत्मीय सम्मान एवं पुरस्कार.
भोपाल में तात्या टोपे दशहरा उत्सव में प्रदेश के राज्यपाल श्री रामेश्वर ठाकुर द्वारा और कैरवा दशहरा उत्सव द्वारा नागरिक अभिनन्दन.
छिन्दवाड़ा में ‘सतपुड़ा सम्मान’
अन्य कुछ सम्मान और भी.
सविशेष : भोपाल में दो मुख्य सड़कों का नामकरण ‘दुष्यन्त कुमार मार्ग’ एवं ‘शरद जोशी मार्ग’ करवाने का ऐतिहासिक एवं महत्वपूर्ण कार्य.
सम्पर्क :
दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय
ई-115/21, शिवाजी नगर, भोपाल-462003
दूरभाष : 7692026871, 8919379126