30 दिसम्बर 1997 को एक निजी आवास के छोटे कमरे से आरम्भ दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय अब देश-विदेश में अपनी पहचान स्थापित कर चुका है. सीमित साधनों के बावजूद यह संग्रहालय एक ओर साहित्यिक धरोहर के कारण शोध और पर्यटन का केन्द्र बन चुका है, वहीं दूसरी ओर इसकी निरन्तर रचनात्मक गतिविधियाँ सर्जनात्मक सक्रियता बनाये हुये है. संग्रहालय में साहित्यिक पूर्वजों की अनमोल विरासत को सहेजने का यह प्रयत्न किया गया है. यहाँ हस्तलिखित धरोहर के साथ ही उनके दैनिक उपयोग की वस्तुएँ, छायाचित्र एवं ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग की अनमोल धरोहर है.

दुष्यन्त कुमार सारक पांडुलिपि संग्रहालय की स्थापना के उद्देश्य हैं-

• महत्वपूर्ण साहित्यकारों की हस्तलिखित मूल सामग्री का संग्रहण और संरक्षण.

• साहित्यकारों की अन्य महत्वपूर्ण सामग्री का संग्रहण, जो ऐतिहासिक महत्व की हो.

• शोधार्थियों और साहित्यकारों को अकादमिक और सर्जनात्मक कार्यों में सहयोग करना.

• शोधग्रंथों का संग्रह एवं समय समय पर शोधार्थियों से सम्बाद करना.

• साहित्यिक समारोहों का आयोजन.

• जनसामान्य में साहित्यिक अभिरुचि का विकास

• जनचेतना के लिए विविध आयोजन

• अन्य साहित्यिक गतिविधियाँ,

● समय समय पर कार्यपरिषद द्वारा लिये गये निर्णयानुसार कार्य.